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सोशल मीडिया पर कांवड़ यात्रा को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट, युवक गिरफ्तार।

मोरना/मुज़फ्फरनगर  देशभर में सावन महीने के दौरान चल रही कांवड़ यात्रा के बीच उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले के भोपा थाना क्षेत्र के मोरना ...



मोरना/मुज़फ्फरनगर देशभर में सावन महीने के दौरान चल रही कांवड़ यात्रा के बीच उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले के भोपा थाना क्षेत्र के मोरना गांव में एक युवक द्वारा सोशल मीडिया पर डाली गई आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्ट से माहौल बिगड़ने की आशंका उत्पन्न हो गई। पोस्ट वायरल होते ही पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया और उसके विरुद्ध संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

घटना की पृष्ठभूमि: कांवड़ यात्रा और सोशल मीडिया का दुरुपयोग

श्रावण मास में उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। लाखों शिवभक्त उत्तराखंड के हरिद्वार, गंगोत्री और गौमुख से गंगाजल लेकर अपने-अपने क्षेत्रों के शिवालयों तक पैदल यात्रा करते हैं। इस पवित्र यात्रा को लेकर समाज में उत्साह और धार्मिक भावनाएं चरम पर होती हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की भड़काऊ या आपत्तिजनक गतिविधि समाज में सांप्रदायिक तनाव फैला सकती है। इसी क्रम में मोरना गांव के नई बस्ती मोहल्ले के रहने वाले शहजाद पुत्र फैयाज ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक ऐसी पोस्ट साझा की, जिसमें कांवड़ यात्रा को लेकर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया था। पोस्ट का उद्देश्य स्पष्ट रूप से धार्मिक भावनाएं आहत करना और समाज में अशांति फैलाना प्रतीत होता है।

पुलिस की तत्परता और गिरफ्तारी

सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल होते ही स्थानीय हिंदू संगठनों में आक्रोश फैल गया। कुछ ही घंटों में यह पोस्ट क्षेत्रीय व्हाट्सएप ग्रुपों, फेसबुक पेजों और इंस्टाग्राम पर भी शेयर होने लगी। स्थिति को नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भोपा थाना पुलिस ने तुरंत संज्ञान लिया। एसपी देहात आदित्य बंसल स्वयं मौके पर पहुंचे और थाना प्रभारी के साथ पूरी जानकारी ली। पुलिस टीम ने मंगलवार शाम को शहजाद को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया और उसका मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया।

एसपी देहात ने मीडिया को बताया:

शहजाद इदरीसी द्वारा डाली गई पोस्ट पूर्णतः आपत्तिजनक थी। इससे कांवड़ यात्रा को लेकर समाज में सांप्रदायिक भावना भड़काने का प्रयास किया गया। आरोपी के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। मोबाइल की जांच में और भी भड़काऊ सामग्री पाई गई है।”

आरोपी की पृष्ठभूमि और प्राथमिक जांच

प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि आरोपी शहजाद इदरीसी पेशे से राजमिस्त्री है और उसने केवल प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह पहले भी कई बार इसी प्रकार की भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर डाल चुका है, लेकिन तब उन पर कोई विधिक कार्रवाई नहीं हुई थी। इस बार जब पोस्ट कांवड़ यात्रा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन से संबंधित थी और इसमें स्पष्ट रूप से धार्मिक भावना को आहत करने वाला संदेश था, तब पुलिस ने बिना देर किए कार्रवाई की। जांच के दौरान आरोपी के मोबाइल से कई आपत्तिजनक वीडियो, फोटो और पुराने सोशल मीडिया चैट भी मिले हैं, जिनमें धार्मिक टिप्पणी की गई है।

सोशल मीडिया की निगरानी और बढ़ती जिम्मेदारी

इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि सोशल मीडिया अब महज मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि यह समाज के लिए सामाजिक जिम्मेदारी और विधिक दायित्व का भी विषय बन चुका है। तकनीकी विशेषज्ञों और साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, कई बार युवा वर्ग बिना यह सोचे समझे आपत्तिजनक पोस्ट कर बैठते हैं, जिससे कानूनी पेंच में फंसने की संभावना बढ़ जाती है। इस मामले में आरोपी की हरकत को आईटी एक्ट के अंतर्गत भी दर्ज किया गया है। साइबर सेल ने उसके फेसबुक अकाउंट, इंस्टाग्राम प्रोफाइल और व्हाट्सएप डेटा को भी खंगालना शुरू कर दिया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपी ने कुछ भड़काऊ ग्रुप्स में भी सदस्यता ली हुई है, जहां इस प्रकार की पोस्टों का आदान-प्रदान होता है।

स्थानीय जन प्रतिक्रिया और प्रशासनिक रुख

घटना के बाद मोरना गांव और आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल बन गया था, लेकिन प्रशासन की सूझबूझ और पुलिस की त्वरित कार्रवाई के चलते किसी प्रकार की हिंसा या हंगामे की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।गांव के प्रधान, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि:  “ऐसे युवाओं पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए जो सोशल मीडिया का उपयोग समाज में ज़हर घोलने के लिए करते हैं। धर्म एक-दूसरे को जोड़ने का माध्यम है, ना कि तोड़ने का।”

पुलिस का संदेश और भविष्य की रणनीति

मुज़फ्फरनगर पुलिस ने इस घटना के बाद स्पष्ट संदेश दिया है कि सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की भड़काऊ या आपत्तिजनक गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विशेषकर धार्मिक आयोजनों के दौरान पुलिस सोशल मीडिया की निगरानी बढ़ा चुकी है।एसएसपी कार्यालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि अब हर थाने में साइबर मॉनिटरिंग सेल को सक्रिय किया जा रहा है। इसके माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पोस्ट, इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब वीडियो पर सतर्क नजर रखी जा रही है।

कानूनी पहलू और संभावित सज़ा

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 295A, आईटी एक्ट की धाराएं और धार्मिक भावनाएं भड़काने के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यदि आरोपी दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 से 5 साल तक की सज़ा और जुर्माने का भी सामना करना पड़ सकता है। विधिक विशेषज्ञों के अनुसार, धार्मिक भावनाएं भड़काने की घटनाएं गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आती हैं और इसमें आरोपी को सशर्त जमानत भी कठिन होती है।

 समाज की ज़िम्मेदारी और जागरूकता की आवश्यकता

मोरना की यह घटना एक चेतावनी है — न सिर्फ उन युवाओं के लिए जो सोशल मीडिया को मज़ाक समझते हैं, बल्कि पूरे समाज के लिए कि हमें अपने विचार, पोस्ट और साझा की जाने वाली सामग्री को लेकर सजग रहना होगा।जहां एक ओर सोशल मीडिया विचारों की स्वतंत्रता देता है, वहीं दूसरी ओर संवेदनशील विषयों पर संयम और समझदारी की आवश्यकता होती है। पुलिस की समय पर की गई कार्रवाई से जहां एक ओर शांति व्यवस्था बनी रही, वहीं दूसरी ओर यह संदेश भी गया कि कानून और व्यवस्था से खिलवाड़ करने की कोशिश करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और साइबर नैतिकता पर और भी ज़्यादा बल देना होगा।

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