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शीर्षक: सोशल मीडिया की चकाचौंध या अपराध की दलदल? संभल में तीन युवतियाँ और कैमरामैन अश्लील रील्स मामले में गिरफ्तार ।

  संभल (उत्तर प्रदेश) आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन गया है, जहां एक आम व्यक्ति भी चंद सेकेंड की वीडियो से रातों-रात ‘स...

 




संभल (उत्तर प्रदेश)

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन गया है, जहां एक आम व्यक्ति भी चंद सेकेंड की वीडियो से रातों-रात ‘सेलेब्रिटी’ बन सकता है। लेकिन प्रसिद्धि की यह चाह, जब नैतिकता और कानून की सीमाएं लांघती है, तो उसका परिणाम केवल सामाजिक निंदा ही नहीं, बल्कि जेल की सलाखें भी हो सकता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में सामने आया है, जहां तीन युवतियाँ — महक, निशा उर्फ परी, और हिना — अपने एक सहयोगी कैमरामैन आलम के साथ अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर डालने के आरोप में गिरफ्तार की गई हैं।

घटना का पूरा विवरण

संभल पुलिस को कुछ समय से शिकायतें मिल रही थीं कि शहर के कुछ हिस्सों में खुलेआम सड़क पर लड़कियाँ अश्लील इशारे करती, गालियाँ देती और उकसावे वाले कंटेंट के साथ वीडियो बना रही हैं। ये वीडियो बाद में इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो रहे थे। जब पुलिस ने इन अकाउंट्स की गहन निगरानी शुरू की, तो सामने आया कि ये वीडियो महक, परी (असली नाम निशा) और हिना नामक युवतियों द्वारा बनाए जा रहे हैं और उनका वीडियो रिकॉर्ड करने वाला व्यक्ति कैमरामैन आलम है।


वीडियो की सामग्री और व्यूअरशिप

इन वीडियो में तीनों युवतियाँ अश्लील कपड़े पहनकर सड़क, बाजार, रेलवे स्टेशन जैसी सार्वजनिक जगहों पर जानबूझकर उत्तेजक और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करती थीं। कुछ वीडियो में गालियाँ, नशा, और आपराधिक संकेत भी खुले तौर पर दिए गए थे। इनकी रील्स को देखने वाले दर्शकों की संख्या हजारों में थी। पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, एक वीडियो पर औसतन 15 से 50 हजार व्यूज मिलते थे। यह व्यूअरशिप इनके लिए 'सोशल मीडिया मोनेटाइजेशन' का जरिया बन चुकी थी। इंस्टाग्राम प्रमोशन, ब्रांड डील्स और अन्य तरीकों से ये हर महीने लगभग ₹30,000 से ₹35,000 तक की कमाई कर रही थीं।


पुलिस की कार्यवाही और IPC धाराएँ 

पुलिस अधीक्षक (SP) ने बताया कि जैसे ही साक्ष्य पक्के हुए, तुरंत कार्रवाई करते हुए चारों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:

धारा 292 (अश्लील सामग्री का प्रकाशन),

धारा 294 (सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता),

आईटी एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण)।

गिरफ्तारी के समय इन युवतियों के पास वीडियो शूट करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मोबाइल, कैमरा, ट्राइपॉड और अन्य उपकरण भी जब्त किए गए।

समाजशास्त्रीय पहलू: प्रसिद्धि की भूख या मानसिक भ्रम?

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या आज की युवा पीढ़ी डिजिटल प्रसिद्धि के पीछे नैतिकता, कानून और समाज की मर्यादा को ताक पर रख रही है? विशेषज्ञों का मानना है कि इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ‘वायरल’ होने का दबाव इतना अधिक है कि कुछ युवक-युवतियाँ अपनी छवि, सम्मान और भविष्य की परवाह किए बिना किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

डॉ. वंदना मिश्रा, एक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट कहती हैं:

इस तरह के मामलों में युवाओं में एक डिजिटल भ्रम की स्थिति बन जाती है। उन्हें लगता है कि व्यूज और फॉलोअर्स ही असली सफलता हैं, और इसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं — चाहे वह अश्लीलता हो या अपराध।”

परिवार और समाज की भूमिका

पूछताछ के दौरान यह भी सामने आया कि लड़कियों के परिवार उनके सोशल मीडिया काम से अनजान थे। महक और परी दोनों स्कूल छोड़ चुकी थीं और सोशल मीडिया को ही अपना 'करियर' मान चुकी थीं। हिना एक निजी संस्था में काम करती थी लेकिन उसकी इंस्टाग्राम प्रोफाइल बेहद बोल्ड और उत्तेजक थी। समाज में ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ रही है जो पारंपरिक रोजगार के रास्तों को छोड़कर 'इन्फ्लुएंसर' बनने की दौड़ में लगे हैं — चाहे वह कानूनी हो या गैरकानूनी।

न्यायिक प्रक्रिया और आगे की कार्रवाई

गिरफ्तार चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस द्वारा कोर्ट में यह दलील दी गई कि इनका कंटेंट केवल अश्लीलता नहीं बल्कि युवाओं को गलत दिशा में प्रेरित करने वाला था। आगे इस केस में यह भी जांच की जा रही है कि क्या इन युवतियों के किसी बड़े नेटवर्क या एजेंसी से संपर्क थे जो उन्हें इस प्रकार का कंटेंट बनाने के लिए प्रेरित या भुगतान करते थे।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी

यह सवाल अब टेक्नोलॉजी कंपनियों की ओर भी मुड़ता है। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स, जो यूजर्स के कंटेंट से पैसे कमाते हैं, उन्हें ऐसे मामलों में और अधिक निगरानी की आवश्यकता है।

एक वरिष्ठ साइबर विशेषज्ञ ने बताया:

जब एक वीडियो हजारों बार देखा जाता है, तो सिस्टम को अलर्ट होना चाहिए कि उसमें क्या दिखाया जा रहा है। AI आधारित मॉडरेशन आज की ज़रूरत है लेकिन कई बार यह भी विफल हो जाता है। कंपनियों को स्थानीय पुलिस और साइबर विभागों से सहयोग बढ़ाना चाहिए।”

 एक चेतावनी और एक सबक

संभल की यह घटना महज एक अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है। यह हमें बताती है कि कैसे कुछ सेकंड की रील्स और सोशल मीडिया का लालच युवाओं को जेल की कोठरी तक पहुंचा सकता है। प्रसिद्धि की दौड़ में जब नैतिकता, संवैधानिक मर्यादा और समाज के नियम पीछे छूट जाते हैं, तो अंत केवल अपमान और सजा ही होता है। सरकार, समाज, अभिभावकों और टेक कंपनियों — सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है कि युवा पीढ़ी को इस डिजिटल दलदल में फंसने से रोका जाए। सोशल मीडिया का सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं — यही इस घटना का सबसे बड़ा संदेश है।

संलग्न जानकारी:

गिरफ्तार युवतियों की उम्र: 19 से 23 वर्ष 

प्लेटफॉर्म: Instagram (रील्स आधारित कंटेंट)

औसत मासिक कमाई: ₹30,000–₹35,000

केस संख्या: 56/2025, थाना संभल

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