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संभल में मुस्लिम मोहल्लों मे खौफ पैदा करने के लिए चलाया बुलडोजर :जियाउर्रहमान:

  संभल: अतिक्रमण हटाने के नाम पर बुलडोजर की कार्रवाई, राजनीतिक विवाद गहराया उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बुधवार को बिजली विभाग और पुलिस की ...


 संभल: अतिक्रमण हटाने के नाम पर बुलडोजर की कार्रवाई, राजनीतिक विवाद गहरायाउत्तर प्रदेश के संभल जिले में बुधवार को बिजली विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया। यह कार्रवाई उन इलाकों में हुई है, जहां बीते 24 नवंबर को हिंसा भड़की थी। प्रशासन ने इसे नियमित अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बताया है, लेकिन स्थानीय समुदाय और विपक्षी दलों ने इसे पक्षपातपूर्ण और एकतरफा बताया।

अतिक्रमण हटाने का दावा

संभल के एसडीओ ने इस कार्रवाई को नियमित प्रक्रिया करार देते हुए कहा, “यह कार्रवाई केवल अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए की गई है। इससे किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने का उद्देश्य नहीं है। सरकारी जमीनों और सार्वजनिक रास्तों पर कब्जा करने वालों के खिलाफ यह अभियान चलाया गया है।”प्रशासन का कहना है कि हिंसा के बाद से इलाके में शांति और कानून-व्यवस्था बहाल रखने के लिए यह जरूरी था। साथ ही अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान को सख्ती से लागू करने के आदेश थे।

समाजवादी पार्टी का विरोध

इस कार्रवाई के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद डॉ. जिया उल रहमान ने इसे सांप्रदायिक आधार पर मुसलमानों को निशाना बनाने का प्रयास बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "संभल से एक तल्ख हकीकत सामने आ रही है। पांच मुसलमानों की जान लेने के बाद भी मुस्लिम मोहल्लों में खौफ पैदा करने के लिए बुलडोजर चलाया जा रहा है। मुतास्सिरीन को इंसाफ दिलाने के बजाय मुसलमानों को शक की बुनियाद पर जेलों में डाला जा रहा है और उन पर बेबुनियाद इल्जाम लगाए जा रहे हैं। सपा सांसद का कहना है कि हिंसा में प्रभावित समुदाय को न्याय दिलाने की बजाय प्रशासन उन्हें डराने-धमकाने में जुटा है। उन्होंने इसे भाजपा सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति का हिस्सा करार दिया।

हिंसा का बैकग्राउंड

24 नवंबर को संभल के कुछ इलाकों में दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें जान-माल का नुकसान हुआ था। पुलिस ने इस हिंसा में शामिल होने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया। हालांकि, स्थानीय लोगों और विपक्ष का आरोप है कि कार्रवाई में एकतरफा तरीके से केवल मुसलमानों को निशाना बनाया गया। हिंसा के बाद इलाके में तनावपूर्ण शांति बनी हुई थी। इस बीच बुलडोजर कार्रवाई से हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।

प्रशासन की सफाई

जिला प्रशासन और पुलिस का कहना है कि बुलडोजर की कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है। संभल के डीएम ने कहा, “किसी भी अवैध निर्माण को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह किसी भी समुदाय का हो। यह कार्रवाई हिंसा से संबंधित नहीं है, बल्कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने का अभियान है।” पुलिस अधीक्षक ने भी दावा किया कि अतिक्रमण हटाने की इस कार्रवाई में किसी भी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नहीं है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय मुसलमानों में इस कार्रवाई को लेकर गुस्सा और भय है। एक निवासी ने बताया, “हमने प्रशासन से बार-बार कहा कि हमारे घर और दुकानें वैध हैं। लेकिन इसके बावजूद बिना किसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चला दिया गया। यह हमारे खिलाफ साजिश है। वहीं, दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने प्रशासन के इस कदम का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अवैध अतिक्रमण हटाना जरूरी था।

विपक्ष के आरोप और सरकार का जवाब

समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के स्थानीय नेता ने कहा, “यह कार्रवाई मुस्लिम समुदाय को डराने की कोशिश है। हिंसा के असली गुनहगारों पर कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि बेगुनाह लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।” वहीं, भाजपा नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इसे कानून-व्यवस्था बहाल करने का कदम बताया। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा, “सरकार की नीति साफ है—न तो किसी के साथ पक्षपात होगा और न ही किसी को कानून हाथ में लेने की छूट दी जाएगी। अवैध अतिक्रमण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”


संभल का राजनीतिक महत्व 

संभल उत्तर प्रदेश का ऐसा जिला है जहां मुसलमानों की आबादी काफी है। यहां की राजनीति में धार्मिक और जातिगत समीकरणों का बड़ा प्रभाव है। हाल के वर्षों में बुलडोजर कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार की एक प्रमुख नीति बनकर उभरी है, लेकिन इसे लेकर विवाद भी बढ़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाइयों का असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “इस तरह की घटनाओं से एक समुदाय विशेष में असुरक्षा की भावना बढ़ती है। यह न केवल सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा देता है।”

क्या आगे होगा? 

संभल में हुए इस घटनाक्रम ने प्रशासन, सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को और गहरा दिया है। मुसलमानों के एक बड़े वर्ग में असंतोष है, जबकि प्रशासन और सत्ताधारी दल इसे कानून का पालन कराना बता रहे हैं। आगे की स्थिति इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रशासन किस तरह से प्रभावित लोगों की शिकायतों का समाधान करता है और शांति बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। विपक्षी दलों ने इस मामले को विधानसभा और संसद में उठाने की चेतावनी दी है। संभल की घटना सिर्फ एक स्थानीय मामला नहीं है। यह राज्य की मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक स्थिति का भी प्रतीक है। प्रशासन की यह चुनौती होगी कि वह न केवल शांति बनाए रखे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि किसी समुदाय को निशाना बनाने का आरोप न लगे।


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