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प्रेम-भाव ओर सामाजिक एकता की सक्षात देवी थी धनवंत्री देवी -योगी तेजपाल उपाध्याय ।

  खरड़ (मुजफ्फरनगर): उपाध्याय योगी समाज के जिलाध्यक्ष रमेश उपाध्याय की धर्मपत्नी श्रीमती स्व. धन्वंतरि देवी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित...

 



खरड़ (मुजफ्फरनगर): उपाध्याय योगी समाज के जिलाध्यक्ष रमेश उपाध्याय की धर्मपत्नी श्रीमती स्व. धन्वंतरि देवी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में हजारों की संख्या में समाज के गणमान्य लोग, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामवासी एकत्र हुए। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने स्व. धन्वंतरि देवी को एक प्रेम, समाज सेवा और एकता की जीवंत मूर्ति बताया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस सभा में दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और अन्य जिलों के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए स्व. धन्वंतरि देवी के समाज के प्रति योगदान को याद किया और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रेम और सामाजिक एकता की साक्षात देवी थीं धन्वंतरि देवी योगी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगी तेजपाल उपाध्याय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्व. धन्वंतरि देवी केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की मातृशक्ति थीं। उन्होंने अपने जीवन के 25 वर्षों को समाज सेवा, प्रेम और एकता के कार्यों में समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा, "धन्वंतरि देवी ने न केवल अपने परिवार के साथ कदम से कदम मिलाकर जीवन जिया, बल्कि समाज को भी जोड़ने का कार्य किया। वे प्रेम, सद्भाव और सामाजिक समरसता की मिसाल थीं।"समाज सेवा में अग्रणी रहीं धन्वंतरि देवी सभा के दौरान योगी शक्ति संघ के चेयरमैन रविंद्र प्रधान जोगी ने भी स्व. धन्वंतरि देवी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण, गरीबों की सहायता और एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। "आज यहां उमड़ा यह जनसैलाब दर्शाता है कि धन्वंतरि देवी ने किस प्रकार से समाज को जोड़ने का कार्य किया। यह रमेश प्रधान की एकता और उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि समाज उनके साथ खड़ा है।"

श्रद्धांजलि सभा में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति इस शोक सभा में अनेक प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे: योगी समाज के अध्यक्ष: कैप्टन सुभाष चंद्र जोगी विश्व योगी महासंघ के अध्यक्ष: योगी ओमकुमार पुंडीर भारतीय योगी समाज दिल्ली प्रदेश के प्रमुख: राजवीर जोगी, सुरेंद्र जोगी, रविंद्र योगी बीजेपी से: वेदपाल उपाध्याय, चमन उपाध्याय, नकुल उपाध्याय उत्तराखंड से: एडवोकेट आनंद उपाध्याय सहारनपुर जिलाध्यक्ष: राजेश जोगी अन्य गणमान्य: कालीचरण दरोगा, सोनू जोगी, बाबू राम लिलोन, राकेश उपाध्याय, नितिन उपाध्याय, मा. रामपाल जोगी, विनोद जोगी, सुनील उपाध्याय, लाला सुर्जुन उपाध्याय, एडवोकेट अभिमन्यु चौहान, समाजसेवी आर.आर.डी. उपाध्याय, राजेंद्र नेता आदि। समाज की एकता का परिचायक बना यह आयोजन सभा में सभी ने स्व. धन्वंतरि देवी के योगदान को सराहा और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा की। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि समाज को एकजुट रखने के लिए प्रेम, सद्भाव और सेवा का मार्ग ही सर्वोत्तम है। समाजसेवी आर.आर.डी. उपाध्याय ने कहा, "धन्वंतरि देवी का जीवन समाज सेवा और एकता का प्रतीक था। उनके बताए गए रास्ते पर चलकर हम समाज को और सशक्त बना सकते हैं।" धन्वंतरि देवी के आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प सभा में उपस्थित सभी लोगों ने स्व. धन्वंतरि देवी के योगदान को नमन करते हुए यह संकल्प लिया कि वे समाज को आगे बढ़ाने और एकता बनाए रखने के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे। एडवोकेट आनंद उपाध्याय ने कहा, "हमें समाज में प्रेम, सहयोग और एकता को बनाए रखना होगा। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी जो हम धन्वंतरि देवी को दे सकते हैं।" हजारों ग्रामवासियों की उपस्थिति इस श्रद्धांजलि सभा में अमित उपाध्याय, अनिल रावण, चंद्रपाल उपाध्याय, राजकुमार उपाध्याय, रोहित खत्री, रूपेंश जोगी, ललित जोगी, संजय सैनी सहित हजारों ग्रामवासी मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि स्व. धन्वंतरि देवी की स्मृति समाज में हमेशा जीवित रहेगी और उनके द्वारा किए गए कार्य सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। निष्कर्ष: समाज सेवा और प्रेम का प्रतीक थीं धन्वंतरि देवी इस श्रद्धांजलि सभा में यह स्पष्ट हो गया कि स्व. धन्वंतरि देवी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थीं। उनका जीवन समाज के लिए प्रेरणा देने वाला था। उनका प्रेम, त्याग और सेवा भाव हमेशा समाज को नई दिशा देने के लिए मार्गदर्शन करता रहेगा। सभा में आए सभी लोगों ने उन्हें नमन किया और समाज के प्रति उनके योगदान को याद किया। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि यदि सच्चे मन से समाज के लिए कार्य किया जाए, तो व्यक्ति केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन जाता है।
स्व. धन्वंतरि देवी को शत् शत् नमन!



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