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जंगली हाथी ने घर में सो रही दो बहनों को कुचला

  ओडिश-   सुंदरगढ़ में जंगली हाथी का कहर: दो मासूम बहनों की दर्दनाक मौत ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जह...


 

ओडिश- सुंदरगढ़ में जंगली हाथी का कहर: दो मासूम बहनों की दर्दनाक मौत

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां रविवार रात जंगली हाथी के हमले में दो मासूम बहनों की मौत हो गई। यह दुखद घटना बोनाई वन विभाग के टामदा रेंज के कांटापल्ली गांव में हुई। मृतक बच्चियों की पहचान 12 वर्षीय सामिया मुंडा और 3 वर्षीय चांदनी मुंडा के रूप में हुई है। घटना ने न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है।

हादसे का विवरण

रविवार की रात जब पूरा गांव गहरी नींद में था, तभी एक जंगली हाथी ने कांटापल्ली गांव में घुसकर जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान उसने कई घरों को नुकसान पहुंचाया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हाथी ने सामिया और चांदनी के घर पर भी हमला किया। बच्चियों का परिवार एक कच्चे मकान में रहता था। हाथी ने मकान के एक हिस्से को तोड़ दिया और भीतर सो रहीं दोनों बहनों को कुचल दिया। परिवार के अन्य सदस्य बच गए, मासूम बहनें फंसी रह गईंघटना के समय घर के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। हाथी को देखकर परिवार के लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे। अफरातफरी और डर के माहौल में सामिया और चांदनी घर में ही छूट गईं। हाथी ने मकान तोड़ते हुए दोनों बच्चियों को बुरी तरह कुचल दिया। गांववालों और परिवार के मुताबिक, बच्चियों की मौके पर ही मौत हो गई।

मृतकों के परिवार को मुआवजा

घटना के बाद प्रशासन ने मृतकों के परिवार को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित परिवार को तत्काल राहत के तौर पर 4 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, वन विभाग ने हाथियों के हमले से बचने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने की बात कही है।

गांव में पसरा मातम 

इस हादसे के बाद गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। घटना के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि इलाके में जंगली हाथियों का आतंक कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।

वन विभाग की प्रतिक्रिया

वन विभाग के अधिकारियों ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अधिकारियों ने बताया कि हाल के दिनों में इस क्षेत्र में हाथियों की गतिविधि बढ़ी है। उन्होंने कहा, “हम घटना की जांच कर रहे हैं और प्रभावित परिवार को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। जंगली हाथियों के कारण गांवों में हो रहे नुकसान को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।”

हाथियों का बढ़ता खतरा: स्थानीय लोगों की परेशानी

सुंदरगढ़ जिला लंबे समय से मानव-हाथी संघर्ष का शिकार रहा है। क्षेत्र में फैले घने जंगल और मानव बस्तियों की बढ़ती संख्या के कारण हाथियों का भोजन और पानी का प्राकृतिक स्रोत सीमित हो गया है। ऐसे में हाथी भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।

ग्रामीणों का आरोप: प्रशासन की लापरवाही

गांव के लोगों ने प्रशासन और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जंगली हाथियों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। कांटापल्ली गांव के एक निवासी ने कहा, “हमने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई है कि हाथियों को रोकने के लिए उपाय किए जाएं, लेकिन हमारी आवाज अनसुनी कर दी जाती है। अब इस घटना ने दो मासूम बच्चियों की जान ले ली।”

हाथियों के हमले का कारण

जानकारों का मानना है कि जंगलों के कटान, खनन और अन्य विकास परियोजनाओं के कारण वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास लगातार घटता जा रहा है। इससे जंगली हाथी इंसानी बस्तियों में घुसने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा, खेतों में लगी फसलें और गांवों में रखा अनाज भी हाथियों को आकर्षित करता है।

वन्यजीव विशेषज्ञों की राय

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि प्रभावित क्षेत्रों में:

1. हाथियों के मार्ग की पहचान

2. वन्यजीव गलियारों की बहाली

3. ग्रामीणों को जागरूक करना

4. हाथियों को रोकने के लिए बाड़ और चेतावनी प्रणाली का निर्माण

जैसे उपाय किए जाने चाहिए।

सरकार की पहल और योजनाएं

ओडिशा सरकार ने हाथियों और अन्य वन्यजीवों के साथ मानव संघर्ष को कम करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें फसल क्षतिपूर्ति योजना, हाथियों के लिए जलाशय और भोजन के स्रोत बनाना, और गांवों में निगरानी प्रणाली लगाना शामिल है। हालांकि, इन योजनाओं का क्रियान्वयन अभी भी प्रभावी ढंग से नहीं हो पाया है।

समस्या का स्थायी समाधान आवश्यक

सुंदरगढ़ और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में जंगली हाथियों के कारण मानव जीवन और संपत्ति को लगातार नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या तभी सुलझ सकती है, जब वन्यजीवों के आवास को संरक्षित किया जाए और मानव हस्तक्षेप को सीमित किया जाए कांटापल्ली गांव में हुई यह घटना मानव और वन्यजीवों के संघर्ष का दर्दनाक उदाहरण है। मासूम बच्चियों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। अब समय आ गया है कि प्रशासन और वन विभाग मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। ग्रामीणों को सुरक्षा का अहसास दिलाने के साथ-साथ जंगली जानवरों के लिए भी एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण पर्यावरण बनाना बेहद जरूरी है।


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