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जलालाबाद का ऐतिहासिक किला पुरातत्व विभाग की निगरानी में जाएगा ।

  जलालाबाद का ऐतिहासिक किला पुरातत्व विभाग की निगरानी में जाएगा शामली, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति ने जलाल...


 जलालाबाद का ऐतिहासिक किला पुरातत्व विभाग की निगरानी में जाएगा

शामली, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति ने जलालाबाद स्थित ऐतिहासिक मनहार खेड़ा किला को संरक्षण में लेने की सिफारिश कर दी है। यह किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य पुरातत्व विभाग ने इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।


राजस्व अभिलेख की मांग

पुरातत्व विभाग ने शामली के एसडीएम सदर को किले के राजस्व अभिलेख, खसरा-खतौनी, नक्शे और गाटा संख्या की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। यह कदम किले को संरक्षित स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है।


किले पर वर्तमान स्थिति

किले के परिसर में वर्तमान में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के विधायक अशरफ अली खान का निवास है। इसके अलावा, किले के क्षेत्र में कई परिवार भी रह रहे हैं। इस स्थिति ने किले को संरक्षण में लेने की प्रक्रिया को जटिल बना दिया है।


मनहार खेड़ा किला: एक ऐतिहासिक धरोहर

यह किला मुगल और राजपूत इतिहास का गवाह है। मनहार खेड़ा के राजपूतों ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ सदा संघर्ष किया और कभी कर अदा नहीं किया। इस वजह से मुगल शासक उनसे नाराज रहते थे। 1650 ईस्वी में मुगल बादशाह शाहजहां ने राजपूतों से कर वसूलने के लिए 14,000 सैनिक भेजे थे। इस युद्ध में मुगल सेना को करारी हार का सामना करना पड़ा और उनके सेनापति मीर हजार खां की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद, मीर हजार खां के बेटे जलाल खां ने 1660 ईस्वी में इस किले पर कब्जा कर लिया। इस घटना के बाद, मनहार खेड़ा का नाम बदलकर जलालाबाद रखा गया। मनहार खेड़ा दुर्ग कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने किले को पुरातत्व विभाग के संरक्षण में देने की मांग करते हुए जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन डीएम को सौंपा था। समिति का कहना है कि किले को संरक्षित करना न केवल सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।


प्रशासन और विधायक का पक्ष

रालोद विधायक अशरफ अली खान का कहना है कि उनके पास किले के क्षेत्र में स्थित प्रॉपर्टी के सारे दस्तावेज हैं। उन्होंने प्रशासन को गलत जानकारी दिए जाने का आरोप लगाया। विधायक का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई नोटिस नहीं मिला है।

शामली के डीएम अरविंद कुमार चौहान ने कहा कि यदि पुरातत्व विभाग की ओर से कोई पत्र प्राप्त होता है, तो नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


संरक्षण के लिए उठाए गए कदम

शासन के निर्देश पर पुरातत्व विभाग ने किले का सर्वेक्षण कराया। इसके बाद, उप्र राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति ने किले को संरक्षण में लेने की सिफारिश की।

पुरातत्व विभाग की निदेशक रेनू द्विवेदी ने 29 अक्टूबर को एसडीएम शामली को पत्र भेजकर किले से संबंधित राजस्व अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि, अभी तक इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।


किले का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता

मनहार खेड़ा किला न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय गौरव का प्रतीक भी है। यह किला राजपूतों और मुगलों के संघर्ष की कहानियों का जीवंत दस्तावेज है। किले के संरक्षण से न केवल इसे ध्वंस होने से बचाया जा सकेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास के अध्ययन और समझ का केंद्र भी बन सकता है।

यदि किले को संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है, तो इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके अलावा, यह कदम उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा। जलालाबाद का मनहार खेड़ा किला उत्तर प्रदेश की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। इसे संरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यह तभी सफल होगी जब प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर काम करेंगे। किले का संरक्षण न केवल इसके ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि यह क्षेत्र के विकास में भी योगदान देगा।


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