छत्तीसगढ़: अंबिकापुर में तंत्र-मंत्र के चक्कर में व्यक्ति की दर्दनाक मौत, गले में फंसे जिंदा चूजे का हुआ खुलासा छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से ...
छत्तीसगढ़: अंबिकापुर में तंत्र-मंत्र के चक्कर में व्यक्ति की दर्दनाक मौत, गले में फंसे जिंदा चूजे का हुआ खुलासा
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। यह मामला न केवल अंधविश्वास की गंभीरता को उजागर करता है बल्कि तंत्र-मंत्र और काले जादू के अंधे विश्वास के कारण लोगों के जान गंवाने के खतरनाक पहलू पर भी ध्यान खींचता है।
घटना का पूरा विवरण
अंबिकापुर के रहने वाले एक व्यक्ति, जिसकी पहचान आनंद (काल्पनिक नाम) के रूप में की गई है, की मौत ने उसके परिवार और समाज को झकझोर कर रख दिया। जानकारी के अनुसार, आनंद शादीशुदा था लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। संतान की चाह में वह लगातार परेशान रहता था और इसी वजह से उसने विभिन्न उपाय करने शुरू कर दिए। स्थानीय लोगों के अनुसार, आनंद ने अपनी इस समस्या के समाधान के लिए तांत्रिकों और झाड़-फूंक करने वालों की मदद लेना शुरू कर दिया। कई महीनों से वह तंत्र-मंत्र के चक्कर में फंसा हुआ था।
14 दिसंबर की रात की घटना
14 दिसंबर की रात को आनंद की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बताया जाता है कि उस रात आनंद ने किसी तांत्रिक के कहने पर जिंदा चूजा निगल लिया। परिवार के लोगों का कहना है कि आनंद ने यह कदम संतान प्राप्ति की कामना के चलते उठाया था। तांत्रिक ने उसे बताया था कि जिंदा चूजा निगलने से उसकी समस्या दूर हो जाएगी और उसे संतान सुख प्राप्त होगा। लेकिन, जिंदा चूजा निगलने के कुछ ही देर बाद आनंद की हालत बिगड़ने लगी। उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी और वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा।
अस्पताल में मौत और पोस्टमार्टम का चौंकाने वाला खुलासा
आनंद के बेहोश होने के बाद परिजनों ने आनन-फानन में उसे अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने जांच करने के बाद आनंद को मृत घोषित कर दिया। शुरू में डॉक्टर भी यह समझ नहीं पाए कि आनंद की मौत आखिर क्यों हुई।
हालांकि, सच्चाई तब सामने आई जब शव का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम के दौरान जब आनंद के गले के पास चीरा लगाया गया, तो डॉक्टरों और अधिकारियों के होश उड़ गए। गले में फंसे 20 सेंटीमीटर लंबे चूजे को देखकर सभी चौंक गए। डॉक्टरों का कहना है कि जिंदा चूजा निगलने के कारण उसका दम घुट गया और सांस की नली में अवरोध उत्पन्न होने की वजह से उसकी मौत हो गई। चूजा निगलने के दौरान गले की नाजुक संरचना क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे वह सांस नहीं ले सका।
अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की जड़ें
यह घटना अंधविश्वास के खतरनाक परिणामों की ओर इशारा करती है। भारत के कई हिस्सों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, आज भी तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक और काले जादू का बोलबाला है। संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक तंगी या अन्य परेशानियों के समाधान के लिए लोग तांत्रिकों और जादू-टोना करने वालों के चंगुल में फंस जाते हैं। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब इन झूठे उपायों के चलते लोगों की जान तक चली जाती है।
समाज में व्याप्त अंधविश्वास के कारण
1. शिक्षा की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के अभाव में लोग वैज्ञानिक सोच से दूर रहते हैं और तंत्र-मंत्र जैसी चीजों पर विश्वास कर बैठते हैं।
2. समाज का दबाव: संतान न होने पर व्यक्ति सामाजिक दबाव में आकर गलत रास्तों को अपनाने लगता है।
3. तांत्रिकों का प्रभाव: तांत्रिक लोग अपनी बातों से लोगों को प्रभावित कर उन्हें भ्रामक उपाय करने के लिए उकसाते हैं।
चिकित्सकीय विशेषज्ञों की राय
मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना से यह स्पष्ट है कि बिना सोचे-समझे ऐसे कदम उठाना कितना खतरनाक हो सकता है। जिंदा चूजा निगलना न केवल असंभव के करीब है बल्कि यह गंभीर रूप से शारीरिक नुकसान भी पहुंचाता है।
डॉ. शर्मा, जो इस मामले में पोस्टमार्टम टीम का हिस्सा थे, ने बताया: यह एक दुर्लभ मामला है। गले में चूजा फंसने से सांस की नली पूरी तरह ब्लॉक हो गई, जिससे व्यक्ति की मौत हो गई। यह घटना एक मेडिकल आपातकाल का उदाहरण है।"
परिवार का दर्द और समाज का सवाल
आनंद की मौत के बाद उसका परिवार गहरे सदमे में है। परिवार के लोगों ने बताया कि आनंद को कई बार समझाने की कोशिश की गई थी कि वह तंत्र-मंत्र के चक्कर में न पड़े, लेकिन वह किसी की नहीं सुनता था। परिवार की स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक समाज तंत्र-मंत्र जैसी कुप्रथाओं का शिकार बनता रहेगा?
प्रशासन और समाज का कर्तव्य
इस घटना के बाद प्रशासन को चाहिए कि वह तांत्रिकों और झाड़-फूंक करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। इसके साथ ही लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि वे अंधविश्वास से बच सकें।
कुछ कदम जो उठाए जा सकते हैं:
1. अंधविश्वास विरोधी अभियान: ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
2. कानूनी कार्रवाई: झूठे तांत्रिकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
3. शिक्षा का प्रसार: शिक्षा के माध्यम से लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित की जाए।
अंबिकापुर की यह घटना एक दुखद और चौंकाने वाली घटना है, जो हमें अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने का संदेश देती है। आनंद की मौत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तंत्र-मंत्र और काले जादू के चक्कर में फंसकर लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं। यह समाज और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी है कि लोगों को शिक्षित किया जाए, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। वैज्ञानिक सोच और जागरूकता ही अंधविश्वास को खत्म करने का एकमात्र उपाय है।
आशा है कि इस घटना से समाज सीख लेगा और अंधविश्वास के खिलाफ एक मजबूत कदम उठाएगा।
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