Tt

Floor

Page Nav

HIDE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News:

latest

1111111

जलालाबाद: मदरसा मिफ्ता उल उलूम में खत्म बुखारी शरीफ का जलसा, हजारों लोगों ने की शिरकत ।

जलालाबाद: मदरसा मिफ्ता उल उलूम में खत्म बुखारी शरीफ का जलसा, हजारों लोगों ने की शिरकत जलालाबाद के मोहल्ला राम रतन मंडी में स्थित मदरसा मिफ्त...


जलालाबाद: मदरसा मिफ्ता उल उलूम में खत्म बुखारी शरीफ का जलसा, हजारों लोगों ने की शिरकत

जलालाबाद के मोहल्ला राम रतन मंडी में स्थित मदरसा मिफ्ता उल उलूम में सालाना खत्म बुखारी शरीफ का एहतमाम किया गया। इस मुबारक मौके पर मदरसा मोहतमिम भाई वली उल्लाह खान शेरवानी की सरपरस्ती रही, जबकि मौलाना अयूब और मौलाना शोएब ने इस प्रोग्राम को लीड किया। इस जलसे में मुल्क के मुख्तलिफ इलाकों से हजारों की तादाद में लोग शरीक हुए।

कुरान की तिलावत से आगाज

जलसे की शुरुआत मौलाना सलमान साहब की तिलावत-ए-कुरान से हुई, जिसके बाद बुखारी शरीफ, जो इस्लाम की सबसे मुस्तनद (प्रमाणिक) किताबों में से एक है, का आखिरी सबक मुफ्ती शोएब उल्ला खान साहब ने 50 तलबा (छात्रों) को पढ़कर सुनाया।

बुखारी शरीफ की अहमियत

बुखारी शरीफ इस्लामी दुनिया की छः सबसे मुकम्मल हदीस की किताबों (कुतुब-ए-सित्ता) में शुमार की जाती है। इसे इमाम मुहम्मद इब्न इस्माईल अल-बुखारी रहमतुल्लाह अलैह ने तदवीन किया था। ये किताब हदीस-ए-नबवी को सहीह (सत्य) और मजबूत सनद (श्रृंखला) के साथ पेश करती है, इसलिए इसे कुरान शरीफ के बाद इस्लाम में सबसे ज्यादा मोअतबर (विश्वसनीय) माना जाता है।

जलसे में मौजूद उलमा-ए-किराम जैसे कि मौलाना अब्दुल सत्तार बुढ़िया, मौलाना नसीम औरंगाबाद, मौलाना ताहिर, मौलाना वाजिद, मौलाना रईस, मौलाना तंजीम ने बुखारी शरीफ की फजीलत (महत्व) पर रौशनी डाली। उन्होंने फरमाया कि बुखारी शरीफ, कुरान शरीफ की तशरीह (व्याख्या) में मदद करती है और मुसलमानों को सही रास्ते पर चलने की राह दिखाती है।

मौलाना नसीम औरंगाबाद ने फरमाया:

"बुखारी शरीफ में मौजूद हदीसें सिर्फ इबादत के बारे में ही नहीं, बल्कि इंसानी जिंदगी के हर पहलू से मुताल्लिक (जुड़ी) हैं। यह किताब हमें रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नतों पर अमल करने और दुनिया व आखिरत में कामयाबी पाने का रास्ता दिखाती है।"

दस्तारबंदी और सनदात (उपाधियाँ) अता की गईं

इस खास मौके पर उन तलबा की दस्तारबंदी (सम्मान समारोह) की गई जिन्होंने अपनी तालीम मुकम्मल की। इस दौरान मुफ्ती अब्दुल रशीद कश्मीरी और मौलाना इसराइल बड़ौत ने तलबा को मौलवी की सनद (डिग्री) से नवाजा।

इसके अलावा:

27 तलबा को हाफिज-ए-कुरान की सनद दी गई।

10 तलबा को कारी की उपाधि से नवाजा गया।

उलमा-ए-किराम ने इन तलबा की मेहनत को सराहा और उन्हें इस्लामी तालीम के फैलाव में अपना किरदार अदा करने की नसीहत दी।

जलसे में मौजूद उलमा ने इस्लामी तालीम की एहमियत पर बयान करते हुए फरमाया कि कुरान शरीफ और हदीस हमें एक अच्छा इंसान और बेहतर मुसलमान बनने की तालीम देते हैं।

मुफ्ती शोएब उल्ला खान ने फरमाया:

"इस्लाम सिर्फ इबादत का मजहब नहीं, बल्कि यह इंसानी जिंदगी के हर शोबे (क्षेत्र) में रहनुमाई (मार्गदर्शन) करता है। यह हमें पड़ोसियों, रिश्तेदारों, गरीबों और जरूरतमंदों के हक में खड़े रहने की तालीम देता है।"

मौलाना रईस और मौलाना तंजीम ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लामी तालीम को मौजूदा दौर की मॉडर्न तालीम के साथ मिलाकर समाज की तरक्की के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

कार्यक्रम के आखिर में मौलाना जमालु उर रहमान ने एक पुर-असर (भावनात्मक) तकरीर की और मुल्क में अमन, चैन, मुहब्बत और भाईचारे के लिए दुआ करवाई। इस दौरान हजारों लोगों ने अपने हाथ उठाकर अल्लाह से दुआ की कि हमारा मुल्क तरक्की करे, सभी मजहबों के लोग मिल-जुलकर रहें और समाज में मोहब्बत और भाईचारा काइम रहे।

मदरसा मोहतमिम भाई वली उल्लाह खान शेरवानी ने जलसे के कामयाब इन्तेजाम पर तमाम उलमा-ए-किराम, मेहमानों, तलबा और शिरकत करने वाले हजरात का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने फरमाया:

"मदरसा मिफ्ता उल उलूम इस्लामी तालीम के फैलाव के लिए हमेशा काम करता रहेगा और आने वाली नस्लों को मजहबी और अखलाकी तालीम देता रहेगा।"

मशहूर शख्सियात और स्थानीय लोगों की शिरकत

इस मुबारक मौके पर इलाके की कई जानी-मानी हस्तियों के साथ-साथ हजारों आम लोग भी शरीक हुए। इनमें खास तौर पर:

नौशाद शेरवानी

राशिद मलिक

इकराम राव

मोहम्मद हम्माद 

सोकीन अब्बासी

अनस मलिक

अखलाक मलिक

मतलूब मलिक

फैसल मलिक (पत्रकार)

आमिर कुरैशी 

अब्दुल रहमान

और हजारों दीनी मुहिब्बान शामिल थे।

मदरसा मिफ्ता उल उलूम में खत्म बुखारी शरीफ के इस जलसे ने इस्लामी तालीम की एहमियत को उजागर किया और इस्लाम के असल पैगाम—इल्म, अमल, मुहब्बत और भाईचारा—को आम करने पर जोर दिया। इस मुकद्दस जलसे में हजारों लोगों ने शिरकत करके यह साबित कर दिया कि इस्लामी तालीम आज भी दिलों को जोड़ने और समाज को रोशन करने की सबसे बड़ी ताकत है। आखिर में दुआ के साथ यह जलसा कामयाबी के साथ मुकम्मल हुआ।



कोई टिप्पणी नहीं